डेट म्युच्यूअल फंड एक पॉपुलर म्युच्यूअल फंड इन्वेस्टमेंट प्लान है। यह उन निवेशकों के लिए है जो मुनाफ़ा भी कमाना चाहते है और ज़्यादा जोखिम भी लेना नहीं चाहते हैं।
इक्विटी म्युच्यूअल फंड में आपका पैसा पब्लिक लिस्टेड कंपनियों के शेयर्स में निवेश किया जाता है लेकिन डेट म्युच्यूअल फंड्स में आपका निवेश किया पैसा सरकारी कंपनियों और सिक्योरिटीज़ में लगाया जाता है।
इन दोनों म्युच्यूअल फंड इन्वेस्टमेंट प्लान्स को लेकर अक्सर निवेशक सोच में पड़ जाते हैं।
दुविधा यह रहती है के वे समझ नहीं पाते है कि दोनों में कौन साबेहतर है उनके लिए।
इसे समझने के लिए पहले समझना जरुरी है कि डेट म्युच्यूअल फंड क्या है।
क्या है डेट म्युच्यूअल फंड
यह एक खास तरह का म्युच्यूअल फंड है जिसमें आपका पैसा फिक्स्ड इनकम सिक्योरिटी के तहत निवेश किया जाता हैं। यानी कि यहाँ आपको अपने निवेश किये पैसों से प्राप्त ब्याज एवं परिपक्वता अवधि का पहले से पता होता है। इसलिए इसे फिक्स्ड इनकम सिक्योरिटी भी कहा जाता है। लेकिन यहाँ इक्विटी फंड के मुनाफे से कम मुनाफा होता है।
लेकिन अगर पैसा अलग-अलग सिक्योरिटीज़ में ठीक से निवेश किया जाये तो डेट म्युच्यूअल फंड से भी अच्छा मुनाफ़ा हो सकता है। इस म्युच्यूअल फंड में रिटर्न्स का अनुमान लगाया जा सकता है, इसी वजह से यह ये छोटे निवेशक के लिए एक सुरक्षित इन्वेस्टमेंट प्लान है।
यहाँ यह समझना ज़रूरी है कि आपका पैसा डेट फंड के तहत कहाँ निवेश होता है। तो समझ लें, जब आप डेट फंड्स में निवेश करते है तो आपका इन्वेस्टमेंट मैनेजर सारे निवेशकों के पैसों को अलग-अलग क्रेडिट रेटिंग्स की सिक्योरिटीज़ में निवेश कर देते हैं।
जो संस्था क्रेडिट रेटिंग इन निर्धारित सिक्योरिटीज़ को देती है वही इनका जोखिम निर्धारित भी करती है। ज्यादा क्रेडिट रेटिंग वालेडेट म्युच्यूअल फंड से ज़्यादा मुनाफा मिलने की संभावना होती है।
यह बात समझ ले डेट फंड की मैच्योरिटी जितने कम समय में होगी आपको उतना कम नुकसान होगा।
डेट म्युच्यूअल फंड्स के प्रकार
डायनामिक बॉन्ड फंड्स – यह डेट फंड बदलती ब्याज रेट के हिसाब से अपना पोर्टफोलियो बदलता रहता है । इस फंड का मैच्योरिटी टाइम भी बदलता रहता है।
इनकम फंड – इस फंड में भी आपका इन्वेस्टमेंट मैनेजर ब्याज दर के अनुसार अलग अलग डेट सिक्योरिटीज़ में निवेशकों का पैसा निवेश करते रहते हैं| लेकिन इस म्युच्यूअल फंड की मैच्योरिटी अवधि लंबे समय की होती है और इसी कारण यह डायनामिक फंड्स की तुलना में ज़्यादा स्थिर होती हैं।
शॉर्ट- टर्म एवं अल्ट्रा शॉर्ट- टर्म डेब्ट फंड्स – ये उन निवेशकों के लिए है जिनके पास कम समयावधि होती है पैसा निवेश करने के लिए| इन फंड्स की मैच्योरिटी का समय लगभग ३ साल का होता है। यह इन्वेस्टमेंट प्लान सामान्य निवेशक के लिए बहुत अच्छा है क्योंकि ब्याज दरों में बदलाव से यह प्रभावित नहीं होता है।
लिक्विड फंड्स – यहाँ निवेश किये पैसो की मैच्योरिटी अवधि ९१ दिनों से ज़्यादा नहीं होती है। इस फंड में जोखिम कम है और रिटर्न भी कम होती है| इस फंड को बैंक के बचत खाते का अच्छा विकल्प कहा जाता है।
स्थिर बाजार में डेट फंड्स निवेश बेहतर विकल्प देता है। क्योंकि इस फंड के तहत ट्रेजरी बॉन्ड्स में पैसा निवेश किया जाता है, तो ऐसा माना जाता है कि इसमें रिस्क कम होता है | इसलिए अगर आप कम जोखिम लेकर ज़्यादा मुनाफ़ा चाहते हैं तो अपने इन्वेस्टमेंट मैनेजर से ज़रूर डेट बांड के बारे में बात करें और निवेश करें।
डिस्क्लेमर : म्युच्यूअल फंड निवेश बाजार जोखिमों के अधीन हैं, योजना संबंधी सभी दस्तावेजों को सावधानी पूर्वक पढ़ें.
-टाटा म्यूचुअल फंड द्वारा लिखित सामग्री